Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 57 ( Meditation -1| Nisha)

हम दोनो अंदर आए , मैने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और निशा का सर जो इतनी देर से मेरे कंधे मे रक्खा हुआ था,उसे दूर किया...उस एक पल मे जाने क्या हुआ, निशा पर मेरी इस हरकत का ऐसा बुरा असर हुआ कि वो चीख पड़ी और वापस मुझसे लिपट गयी....

"मत जाओ, प्लीज़..."

"मैं कहीं नही जा रहा..."उसकी पीठ सहलाते हुए मैं बोला"और आज तुम्हे हो क्या गया है..........मेमसाहिब...🤣"

इतना सुनते ही उसकी सूरत रोने जैसी हो गयी, उसकी आँखो मे आँसू उतर आए  और उसका अबकी reaction देख मेरे सीने  मे  जैसे किसी ने ट्रक उठाकर दे मारा हो, मेरी ऐसी हालत थी....ऐसा तो मैं तब भी नही चकराया था जब अरुण ने मुझे कहा था कि"अब मैं गे नही रहा, मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है ,और वो लड़की है... दिवववववव

"खुद से दूर मत करो मुझे,,.."निशा बीच मे ही बोल पड़ी,

"शर्ट उतारने दोगी या चाहती हो कि मुझे ठंड लग जाए और बीमार होकर यही पड़ा रहूं..."

"मेरे रूम पे चलो..."

"ऐसे ही.....? घर गीला नही हो जाएगा..."

"कोई फरक नही पड़ता..."

"चलो फिर..."

निशा का रूम कहाँ है ये मुझे मालूम था, या फिर यूँ कहे कि इस पूरे घर मे मुझे सिर्फ़ निशा का ही रूम मालूम था. सीढ़िया चढ़ते वक़्त भी वो मुझसे लिपटी रही और सीढ़िया चढ़कर जब हम दोनो उसके रूम के अंदर दाखिल हुए तो तब भी उसने मुझे नही छोड़ा.....

निशा के आज के बर्ताव से मैं खुद हैरान था, आज तक सुना था कि रात-ओ-रात ज़िंदगी बदल जाती है, लेकिन आज मै एक इंसान को रात-ओ-रात बदलते हुए देख रहा  था, दो दिन पहले ही हम दोनो ने एक साथ बिस्तर गरम किया था. तब की निशा मे और आज मुझसे लिपटी हुई निशा मे zero to infinity का डिफरेंस था .

ऐसा क्या हुआ..? कौन सी ऐसी घटना घटित हुई की.....??? मै इस  ज़ीरो से इन्फिनिट तक के डिफरेंस  का राज़ जानना चाहता था, आख़िर ऐसा क्या हो गया निशा को जो वो एक पल भी बगैर मेरे साए की नही रह सकती, मुझे अब भी वो वक़्त याद है जब निशा ने कहा था कि...ये हमारी आख़िरी रात है और इसके बाद हम कभी नही मिलेंगे....एक वो वक़्त था और एक अभी का वक़्त है...
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इस वक़्त मैं निशा के साथ बिना कपड़ो के shower  के नीचे भीग रहा था, हम दोनो ने एक दूसरे के गरम होते जिस्म को कसकर एक दूसरे से जकड रखा था और बिना कुछ कहे सिर्फ एक -दूसरे की आँखों मे आँखे डाले देखे जा रहे थे... मानो हा दोनों एक पल मे, एक साथ गूंगे हो गये हो. उस वक़्त ,उस पल हमारे बीच एक अजीब सी कशमकश थी, एक अजीब सा जंग हम दोनो अंदर ही अंदर  लड़ रहे थे और इस जंग को आगे बढ़ाते हुए मैने निशा की गर्दन को अपने होंठो से स्पर्श किया.. वो सिहर उठी और तुरंत उसने अपनी आँखे बंद कर ली...  वो आज ऐसे शरमा रही थी , जैसे वो पहली बार किसी के साथ ये सब करने जा रही हो....? इतना तो वो तब भी नही शरमाई थी जब पहली बार मैं उसके साथ सोया था....

"अरमान...नो..."अपनी आँखे बंद करके मुझे रोकते हुए वो बोली.. क्यूंकि मै  जल्द से जल्द उसके साथ रास -लीला रचाने के मूड मे आ गया था

एक तरफ वो मुझे मना कर रही थी कि मैं उसके साथ वैसा कुछ भी नही करूँ लेकिन दूसरी तरफ वो खुद को मुझे सौंप भी रही थी, सच मे एक अजीब सी कश मकश थी हमारे बीच.........
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और इसी कशमकश  मे मैने उसे कसकर अपने शरीर से दबाया , shower  का पानी अब भी हमारे उपर बराबर गिर रहा था.

"आज नही..."अपने सीने पर निशा को जैसे ही मेरे हाथ महसूस हुए उसने उन्हे तुरंत  दूर कर दिया...मैने सोचा कि वो ऐसे ही मना कर रही है... लड़कियों की ना मे भी हाँ होती है. इसलिए  मुस्कुराते हुए मै वापस अपने हाथ वही ले गया ,लेकिन उसके बाद निशा की नज़रें नीचे झुक गयी...और उस पल मुझे बहुत बुरा लगा, खुद पर गुस्सा भी आया....

"चल चलती क्या..."उसको पकड़ कर मैने फिर खुद से चिपका लिया और उसके होंठो को अपने होंठो मे क़ैद कर लिया....

मेरा मन तो बहुत था कि निशा आज भी पहले की तरह बिस्तर पर  मेरे साथ वक़्त गुज़ारे ,लेकिन आज वो इसके लिए तैयार नही थी...यदि मैं जबरदस्ती  करता तो बेशक वो मुझे मना नही करती लेकिन ,लेकिन फिर जबरदस्ती करना मुझे खुद अच्छा नही लगा ..
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"आज तुम्हे हो क्या गया है, पहले तो इस तरह कभी बर्ताव नही किया ..."उसके बालो को सहलाते हुए मैने पूछा...

इस वक़्त निशा मेरे उपर सीने पर अपना सर रखे  लेटी हुई थी और मै उसकी जुल्फे सहला रहा था... आज हमने वैसा कुछ भी नही किया, जो अक्सर करते थे...

"तुम पागल कहोगे... मुझे .."वो बस इतना बोली

"और यदि नही बोला तो..."

"सच..."

"मुच..."

"एक सपना देखा था कल रात..."उसने मेरे सीने पर से अपना सर उठाया और मेरी आँखो मे देखते हुए बोली "बहुत बुरा सपना था..."

"ज़रूर मेरे बारे मे कुछ देखा होगा,वो भी बहुत बुरा..."

"मैने देखा कि..."वो याद करते हुए बोली"मैने सपने मे देखा कि मेरी शादी हो रही है, लेकिन हर पल बस तुम्हारा ही ख़याल आ रहा है और जब मैं पूरी तरह तैयार  होकर  शीशे मे खुद को निहार रही थी तो आईने  मुझे तुम्हारा अक्श दिखाई दिया...मैं उस वक़्त बेचैन हो उठी कि आख़िर ये मुझे हो क्या रहा है...फिर बाद मे   अचानक तुम सच मे वहा पहुच गये और मेरा हाथ पकड़ कर ....."बोलते-बोलते निशा चुप हो गयी...

"आगे बोलो, मस्त कहानी है..."

"उसके बाद तुम पर किसी ने पीछे से  गोली चलाई और फिर..."बोलते हुए वो फिर से चुप हो गयी और मेरे सीने को देखकर जैसे खुद को यकीन दिला रही हो कि ,वो सब एक सपना था....

"गोली मेरे सीने को आर -पार कर गई  थी ना...???"

"हां, लेकिन तुम्हे कैसे पता.....?? "मेरे इतना बोलते ही वो बुरी तरह चौक गई और तुरंत उठकर बिस्तर पर बैठी...
"क्या कल रात तुम्हे भी वो सपना आया था... अरमान...??."

"अभी तुम जो आँखे बड़ी बड़ी करके ,मेरे सीने को नाख़ून से दबा के चेक कर रही थी ना...  उसी से मैने अंदाज़ा लगाया..."

"ओह ! सॉरी..."मेरे सीने मे अपने नाखूनो के निशान को देख कर वो मुस्कुरा उठी......

"एक सपने से इतना डर गयी..."

"ना.. सिर्फ सपने से नहीं. दरअसल उसके बाद , आज जब मै अपनी शादी का ड्रेस पहन कर आईने के सामने ट्रायल के लिए खड़ी हुई तो  सपने के जैसे ही तुम आज भी मेरे पीछे खड़े थे और फिर मेरे कानो मे वो गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी..."

"तू सच मे पागल है, तुझे तो आगरा मे  होना चाहिए. वो आवाज़ गोली चलने की नहीं.. बल्कि बिजली कड़कने की होगी..."

उसके बाद वो मुझे जगाकर सो गयी, जब मेरे सीने मे अपना सर रखे  उसकी पलके नींद के कारण धीमे -धीमे बंद हो रही थी,तो उसने मुझसे सॉफ कहा था कि मैं उसे छोड़कर ना जाउ और अपने सुकून के लिए उसने मेरा हाथ एक रस्सी से अपने हाथ मे बाँध लिया था.... इस बात से बेखबर की यदि मुझे छुड़ाना हुआ तो मै अपने दूसरे हाथ का इस्तेमाल तो कर है लूंगा ना.... नींद मेरी आँखो से कोसो दूर थी,इसलिए फिलहाल मैने टाइम पास करने के लिए निशा के बारे मे सोचना शुरू कर दिया था

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3 Comments

Kaushalya Rani

26-Nov-2021 06:44 PM

Nice

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Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:56 PM

ओगॉड..आगे बहुत रोमांचक होने वाला है

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Supriya Pathak

18-Sep-2021 11:14 AM

Bahut acche se ehsaas ko likha he... Or usko lafzo me baandha he.. Bahut mazbuti ke saath har kadi ko joda he.. Bahut acvha

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